બુધવાર, 10 ઑક્ટોબર, 2018

देशकी शांति,एकता और प्रगति के लिए खतरा रूप ऐसें फेक न्यूज या जुठ के व्यापार से सावधान


पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तिथियों का ऐलान होते ही देशमें चुनावी मौसम की शुरुआत हो चुकी है.अब २०१९ लोकसभा चुनावों की समाप्ति तक फेक न्यूज,अफवाएं और जुठ के व्यापार की बाजार गर्म रहेनेवाली है.इंटरनेट टेक्नोलोजी के कारण अब कोई भी खबर घंटे के छठे हिस्से में दुनियाभर में फैलाना बहोत आसान हो गया हे.भारत में अब इंटरनेट का उपयोग बहुत सहज और सरल हो गया हे.३जी और ४जी टेक्नोलोजी आने के कारण अब स्पीड भी बढ़ गई हे और सेलफोन सस्ते होने से अब तो गाँव गाँव तक स्मार्टफोन पहुँच गए हे.गाँव के लोग भी अब फेसबुक,वोट्सेप,न्यूज़ वैबसाइटस और यु-ट्यूब का खुलकर इस्तमाल करने लगे हे.एक साथ लाखो लोगों के साथ जुड़ने के लिए सोशियल मिडिया जैसा सटीक और असरकारक दूसरा कोई माध्यम नहीं हे, इस बात को समजते हुए सभी राजनैतिक दल अपनी बात जन सामान्य तक पहुँचाने के लिए इस प्लेटफोर्म का महतम उपयोग कर रहे हे. यहाँ तक तो सब ठीक है लेकिन जबसे इस प्लेटफोर्म का दुरपयोग होना शुरू हुआ हे, तब से सोशियल मिडिया सब के लिए सिरदर्द बनता जा रहा हे.

आजकल सोशियल मिडिया में फेक न्यूज और जूठ की भरमार लगी हुई हे. सतापक्ष के सामने असंतोष पैदा करने के मंसूबे से अलग अलग प्रकार के जुठे समाचारों का फैलावा करने के लिए सोशियल मिडिया एक घरेलु और सटीक माध्यम बन गया हे. फेक न्यूज को इस तरह से प्रस्तुत किया जाता हे की गाँव और शहर के सीधेसादे लोग उसको सच मान लेते हे.यह जूठ का कारोबार चलाने के लिए करोड़ों रुपये का खर्च किया जाता हे.फेक न्यूज के मेन्युफेक्चरिंग और मार्केटिंग के लिए प्रोफेशनल्स को ऊँची तनखाह दी जाती हे.हाल ही में ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी के संशोधकों ने अपने शोधपत्र में साफ लिखा है कीभारत में सोशियल मिडिया द्वारा फेक न्यूज फ़ैलाने का कारोबार दुनिया के किसी भी देश से अधिक मात्रा में फला फुला हे.२०० मिलियन से भी ज्यादा वोट्सेप यूजर्स इस देश में हे, इसलिए सभी राजकीय पक्ष उसीको टारगेट बनाने की योजनाएं बनाते रहते है.

हाल ही में हम फेक न्यूज़ के बेहद्द ही खराब परिणामों का अनुभव कर चुके हे.देशभर में दलितों में आक्रोश पैदा कर हिंसा फ़ैलाने के बदइरादे से कुछ ही समय पहले सोशियल मिडिया में जूठे समाचार फैलाए गए की एट्रोसिटी कानून रद्द कर दिया गया हे.वास्तवमें सुप्रीमकोर्ट ने इस कानून के हो रहे दुरपयोग को रोकने हेतु कुछ सुजाव दिए थे किन्तुं इस फेक न्यूज़ के कारण दलित संगठनों ने भारत बंध का एलान भी कर दिया और देशभर में हिंसा के कई हादसे हुए आखिर जब सही हकीकत सामने आई तब जाके मामला शांत हुआ लेकिन उतने में तोड़फोड़ के कारण देश के करोडो रुपये बर्बाद हो चुके थे और कई लोगों की जानहानी भी हुई.इस मामले के बाद फेसबुक और वोट्सेप में एसे समाचार प्रसारित होने शुरू हुए की १०वीं अप्रेल को सवर्णों और ओबीसी समाज ने भारत बंध का एलान किया हे.वास्तव में किसी भी संगठन ने ऐसा कोई एलान किया ही नहीं था.हाल ही में देश के कई हिस्सों में मोब लिंचिंग की घटनाएँ घटी जिसमें कई लोगों ने अपनी जान तक गवां दी.इसके पीछे भी फेक न्यूज़ ही जिम्मेवार हे.दिलीपकुमार की मृत्यु,नोटबंधी से जानहानी,राफेल में भ्रष्टाचार जैसे बहोत सारे फेक न्यूज़ हम बार बार सुनते रहे हे.

अपनी राजकीय खिचड़ी पकाने के लिए सोशियल मिडिया का सहारा ले कर देश के संवेदनशील लोगों को जुठें समाचारों द्वारा उक्शाना,हिंसा फैलाना,देश की शांति को बिगाड़ना,देश के संशाधनों को नुकशान करना यह कितना उचित हे ? लोकशाही के मूल्यों का जतन करते हुए तंदुरस्त हरिफाई करना राजनीती में आवकार्य हे.सतापक्ष की कहीं भूल नजर आये या फिर कुछ गलत हो रहा हे तो निःसंदेह उसको उजागर करना चाहिए लेकिन दूसरों को नीचा दिखाने के लिए या फिर अपनी सताभुख को पोषने के खातिर कोई भी आधार तथ्यों के बगैर मनघडत अफवाएं फैलाना यह तो गिरी हुई राजनीती की पराकाष्ठा हे.जब अपने सही तर्क के ज़रिये सामनेवाले को मात देना संभव नहीं लगता तब अहंकारी और सतालालचु लोग जूठ का सहारा लेते हे.ऐसे जूठ फ़ैलाने में राजकीयपक्षों के साथ कई नामांकित पत्रकार एवं मिडिया के भी कई लोग जुड़ जाते हे तब हमारे सबके मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक हे की हम अपने देश को किस दिशा की ओर ले जाना चाहते हे ? एक तरफ पुरे विश्व के लोग बहुत बड़ी आश लगाये भारत की ओर देख रहे हे,पूरा विश्व भारत का विश्वगुरु के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार बैठा है, तब जूठ की भरमार से देश की प्रगति में बाधा डालना,देश में जानबुजकर अराजकता का माहोल बनाकर विश्व में भारत की शाख बिगड़े ऐसे प्रयास करना,देश की सरकार पर कोई भी आधार सही तथ्यों के बगैर आक्षेपबाजी करना क्या यह देशद्रोही कृत्य नहीं हे ? आप देश के विकास के लिए उपयोगी बन शके या विकासकार्यों में सहयोगी नहीं बन शकते तब तक ठीक हे लेकिन फेक न्यूज़ फैलाकर देश के विकास में बाधा डालने का आपको कोई अधिकार नहीं.

हम सब ऐसे फेक न्यूज़ की मायाजाल से बचकर इस प्रकार के समाचारों को पहचानकर उसके फैलावे को रोके,एक सच्चे भारतीय के नाते हम सब का यहीं कर्तव्य है.देश की प्रगति के लिए सभी ज्ञाति-जाती,धर्म,भाषा प्रान्त के लोग एक दुसरे के साथ मिलजुलकर भाईचारे के साथ रहे यह अत्यंत आवश्यक हे.देश की प्रगति में ही हमारी प्रगति हे.जाने अनजाने में भी हम इस प्रकार के फेक न्यूज़ अफवाएं फ़ैलानेवालों के माध्यम बने यहीं सच्ची देशसेवा हे.भारत माता की जयवंदेमातरम्

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