રવિવાર, 17 ફેબ્રુઆરી, 2019

आइए हम सब ‘करियर ओरिएंटेड’ नहीं बल्क़ि ‘नेशन ओरिएंटेड’ बनें.

हम सब बचपन से एक बात सुनते आते हें की बेटा ‘करियर ओरिएंटेड’ बनो,बेकार की बातों में अपना समय मत बिगाड़ो,अपना भविष्य उज्जवल बनाने के लिए अभी से महेनत करो.इस प्रकार की बहोत सारी बाते हम बचपन से सुनते आए हे.आज की नई पीढ़ी के माँ-बाप तो कम्प्यूटर की तरह बचपन से ही अपने बच्चों में भी करियर का प्रोग्रामिंग करना चालू कर देते हे. ‘करियर ओरिएंटेड’ बनो एसा कहेने की बजाय बेटा ‘नेशन ओरिएंटेड’ बनो, एसा कहेते किसी माता-पिता को कभी आपने सुना हे ? अपने नहीं बल्क़ि देश के उज्जवल भविष्य के लिए महेनत करो,एसा कहेते कभी किसीको सुना हे ?

वास्तवमें बदलते समय के साथ हम सब इतने ‘सेल्फ सेंटर्ड’ हो गए हे की में और मेरा घर,मेरे बच्चे,मेरी ऑफिस,मेरा धंधा,मेरा बंगला,मेरी गाड़ी बस सिर्फ मेरा,मेरा और मेरा इसमें कहीं देश की तो कोई बात ही नहीं करता.आपको जानके हैरानी होगी की ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी के संलग्न चाइना की एक इंस्टिट्यूट हे जिसका नाम हे Institute of International and Comparative Education(IICE) उसमे Nation-Oriented Comparative Education नामक कोर्ष चलता हे.इसी तरह छोटी उम्र से ही बच्चे अपने देश के प्रति अपना उतरदायित्व समजे इस हेतु से इजराएल जैसे कई देशोंकी स्कूल्स में उस प्रकार की तालीम के साथ देशभक्ति के संस्कारो का सिंचन किया जाता हे.क्यूंकि वहां के लोग अच्छी तरह समजते हे की देश की समृध्धि में ही हमारी समृध्धि हे,देश के विकास में ही हमारा विकास हे और देश की प्रगति में ही हमारी प्रगति हे.इसी वजह से भारत के बाद आज़ाद हुए कई देश बहोत कम समय में विकास और समृध्धि में हमसे कई गुना आगे निकल गए हे.भारत के साथ या तो उसके बाद आजाद हुए चीन,दक्षिण कोरिया,इंडोनेशिया,वियेतनाम,जॉर्डन,एस्टोनिया,इजराएल इत्यादि देशों की जिस तरह से प्रगति हुई हे उसकी तुलना में कई सारी चीजों में हम आज भी बहोत पीछे हे.


यह सभी देश इतनी तेज़ गति से प्रगति कैसे कर पाए ? इसका जवाब खोजने की कोशिष करेंगे तो पता चलेगा की वहां के लोग ‘करियर ओरिएंटेड’ नहीं किन्तुं ‘नेशन ओरिएंटेड’ हे.इसलिए यह सब देश हमसे आगे निकल गए.’नेशन ओरिएंटेड’ यानि क्या ? कुछ भी करने से पहले देश का विचार करना.में अगर यह कार्य करूँगा तो मेरे देश को इससे फायदा होगा या नुकशान ? मेरा क्या फायदा यह सोचने के बजाय देश के फायदे या गेरफायदे के बारे में सोचेंगे तो देश की प्रगति के साथ हमारी प्रगति भी निश्चित हे.हमारी क्रिकेट टीम विश्वकप में विजयी बने तो देश को फायदा हे की नुकशान ? फायदा ही तो हे,विश्वफलक पर क्रिकेट के क्षेत्र में देश का नाम रोशन हो यह देश गौरव की तो बात हुई.यहाँ देश के फायदे के साथ टीम के सभी प्लेयर्स को भी व्यक्तिगत रूप से लाभ प्राप्त हुआ की नहीं ? इसी तरह देश का वैज्ञानिक कोई नवीनतम अविष्कार करे और विश्वकक्षा पर गौरव प्राप्त करे तो यह देश का भी तो गौरव हुआ की नहीं ? आप किसी भी कार्य में या कोई भी क्षेत्र में प्रामाणिकता व ईमानदारी से प्रगति करते हे तो वह प्रगति सिर्फ आपकी नहीं बल्की पुरे देश की प्रगति हे और देश की प्रगति में ही सभी देशवासीओं की भी प्रगति हे.

अभी २६ जनवरी को भारत सरकार की ओर से भारतरत्न,पद्मश्री और पद्माविभूषण अवार्ड्स घोषित हुए.इन नामों की सूचि अगर हम देखेंगे तो पता चलता हे की इन सभी लोगों ने अपने अपने क्षेत्र में उतम कार्य किया हे.अपना संपूर्ण जीवन किसी एक कार्य में, दुसरों की भलाई के लिए खपा दिया हे.तो यह कार्य भी देशकार्य ही हुआ.इन सभी लोगों ने अपना निजी स्वार्थ छोडकर समग्र समाज की उन्नति के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया तो साथ ही साथ उनकी अपनी प्रगति भी हुई और राष्ट्रनिर्माण का कार्य भी हुआ.तो यह सभी लोग किस प्रकार के लोग हे ? ‘नेशन ओरिएंटेड’.

आजकल विदेश जाने की भी एक फेशन चल पड़ी हे.वहां जाकर पेट्रोलपंप पर नोकरी करेंगे लेकिन कमाई तो डॉलर में ही करेंगे.इस प्रकार का पागलपन सिर्फ युवानों में हे ऐसा नहीं उनके माता-पिता पर भी इस पागलपन का दौरा पड़ा होता हे.हमारा लड़का विदेश में पढाई करता हे ऐसा रुतबा समाज में रखने के लिए भले ही बेंक से कर्ज लेना पड़े लेकिन बच्चे को विदेश तो भेजेंगे ही.हाँ अगर अनुकूलता हे तो विदेश जाना कोई बुरी बात नहीं हे.विदेश जाना चाहिए,वहां की अच्छी बातों का अनुकरण भी करना चाहिए.लेकिन कुछ सोचें समजे बिना हमारा सबकुछ बेकार और विदेश का सबकुछ अच्छा यह सोच ठीक नहीं.पहेले आप भारतीय संस्कृति और इतिहास का अभ्यास करो और उसके बाद कुछ तय करो तब तो ठीक हे लेकिन सिर्फ दूसरा गया तो में भी क्यूँ पीछे रह जाऊ यह सोचकर अंधी दौड़ लगाना हरगिज़ मुनासिब नहीं हे.

इनफ़ोसिस के फाउन्डर श्री नारायण मूर्ति को जिसने पढ़ा हे उसको पता होगा की वो विदेश में अच्छी कंपनी में तगड़े पगार से नौकरी कर रहे थे.वहां ओर आगे तरक्की करने का रास्ता भी उनके आगे साफ था.लेकिन उन्होंने सोचा की में यह काम मेरे देश में जाकर कयूं न करूँ ? मेरे देश के हज़ारो युवाओं को में रोजगारी दूंगा और मेरा देश सोफ्टवेर के क्षेत्र में विश्व में प्रथम क्रमांक पर पहोंचे इसके लिए में भारत में रहकर ही काम करूँगा यह ठानकर वो भारत वापिस आ गए.इनफ़ोसिस की स्थापना हुई और आज हज़ारो युवाओं को रोजगारी तो प्रदान करते हे साथ में देश को अबजो रुपये की विदेशीमुड़ी भी कमाकर देते हे और करोड़ों रुपये का टेक्स भुगतान करके देश के प्रति अपना ऋण भी अदा करते हे.

हमारा देश आज विश्व में सबसे ज्यादा युवाओं का देश हे.हमारे देश के युवां अगर ‘करियर ओरिएंटेड’ बनने की बजाय ‘नेशन ओरिएंटेड’ बनने की ठान लेंगे तो फिर इस देश को फिर से विश्वगुरु बनने से कोई रोक नहीं पायेगा.आइए हम सब अपने देश के लिए सोचें,देश के लिए कम करे और देश के लिए जिए.भारत माता की जय.वंदेमातरम् 

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