‘सब भारतवासी मेरे भाई-बहन हे’ इस मंत्रके साथ साथ केरल में
मानवता महेक उठी ।
बाढ़ग्रस्त केरल में
चल रहे राहतकार्योने आज फिरसे हमारी राष्ट्रीय प्रतिज्ञा की यादको ताज़ा कर दिया ।
बचपनमें शालामें रोजाना हम राष्ट्रिय प्रतिज्ञा का पठन करतेथे । हमारी राष्ट्रीय
प्रतिज्ञा की दो लाइन – भारत मेरा देश हे । सब भारतीय मेरे भाई-बहन हे । - जो आज
मुजे फिरसे याद आ गई । भारत देश के सभी नागरिकों के लिए यह प्रतिज्ञापत्र बनाया
गया हे । हर नागरिक अपने नागरिकांना फ़र्ज़ के प्रति कटिबध्ध बने यह प्रतिज्ञापत्र
का मुख्य उदेश्य हे ।
जिसको हम ‘भगवान्
के अपने प्रदेश’की उपमा से पहेचानते हे, एसा हमारा केरल राज्य पिछले कई दिनोंसे
अतिवृष्टि और बाढ़ की विकटम परिस्थितियों से घिरा हुआ हे । चारोऔर तबाही,गाँव के
गाँव पानी में डूबे हुए हे । लोगों को खाने के लिए रोटी और सोने के लिए छत भी नसीब
नहीं हे । ऐसी कारमी स्थिति में लोग कैसे भी करके दिन गुजारा करते हे । भारत सरकार
ने भी इसे अति गंभीर कुदरती आपदा मानकर ६०० करोड़ की सहाय घोषित की हे और हर तरह की
मदद सरकार की ओरसे दी जा रही हे । केरल को फिरसे पूर्ववत् करने के लिए गुजरात समेत
अन्य राज्यों ने भी करोडो रुपये का योगदान घोषित किया हे ।
केरल के
राहतकार्य में देश का सैन्य,एनडीआरऍफ़ की टीम समेत देशभर से कई सेवाभावी संस्थाएं व
धार्मिक संस्थाओ के कार्यकर भी लोगों को मदद करने हेतु पहोंच गए हे । राष्ट्रिय
स्वयंसेवक संघ के कार्यकर भी इस राहतकार्य में जुड़ गए हे, हालाकी संघ कार्यकर्ताओं
के लिए ये कोई नयी चीज नहीं हे । कश्मीर की बाढ़ हो,मोरबी का पुर प्रकोप हो, या
कच्छ का भूकंप हो । एसी अनेकों कुदरती आपदाओं में संघ के हज़ारो कार्यकर्ता नि:स्वार्थ
भाव से जुड़कर सेवाकार्य करते रहे हे किन्तु यहाँ एक बात का जिक्र करना जरुरी होगा
की इसी केरल में पिछले पांच दशको में देशहित में कार्यरत एसे राष्ट्रिय स्वयंसेवक
संघ के हजारों कार्यकर्ताओं की सराजाहिर हत्याएं की गई हे । ‘आहुति ’नामक पुश्तक
में इन बलिदानीओ के नाम व फ़ोटो के साथ यह करुणांति का वर्णन किया गया हे । जिसे
पढ़कर कठोर से कठोर मन के इन्सान का ह्रदय भी कांप उठे । केरल में खुल्लेआम हो रही
गौमांस की मेजबानीओ के द्रश्य भी हमने समाचारों के माध्यम से देखे हे । फिर भी
किसीभी प्रकार का पूर्वग्रह,बैरजेर या ज्ञाति-जाती व धर्म-संप्रदायों का भेदभाव
रखे बगैर राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के हज़ारो कार्यकर्ता खुद की जान जोखिम में डालकर
भी केरलवासियो को बचाने और मदद करने हेतु रात-दिन महेनत कर रहे हे । सब भारतवासी
मेरे भाई-बहन हे ऐसी पूर्ण आत्मीयता के साथ,सबकुछ भूलकर अपने परिवार से दूर मानवता
और देशप्रेम की भावना से देशवासियो की जान बचाने निकल पड़े हे । एक सच्चे भारतीय और
सच्चे देशप्रेमी की यहीं पहेचान हे ।
समाचारपत्रों के
माध्यम से यह भी जानकारी मिली हे की केरल में मुस्लिम युवको मंदिरों की सफाई कर रहे
हे तो हिन्दू युवको मस्जिद और चर्च के सफाई कार्य में जुड़ गए हे । सैन्य के जवान
भी जान की बाजी लगाकर लोगों को बाहर निकाल रहे हे । आर्मी के मेजर हेमंत राज,
छुट्टी पर होते हुए भी केरल राहत कार्य में पहोंच गए हे । कई आईएएस अफसर भी रातो
को बिना सोये लगातार राहत कार्यो में जुटे हे । केरल का एक मुस्लिम डोक्टर दंपति डॉ.नसीमा और
उसके पति डॉ.नजीब भी पिछले कुछ दिनों से कुछभी खाए पियें बगैर रात-दिन बारी बारी
से सिर्फ तिन घंटे की नींद लेकर राहत शिबिर में ज्ञाति-जाती व धर्म संप्रदाय के
भेदभाव रखे बगैर बाढ़ग्रस्त लोगों की सेवा कर रहे हे । ऐसे तो कई किस्से केरल में
चल रहे राहतकार्यो में देखने को मिल रहे हे । यह सब देखकर,सुनकर मनमे यह भाव द्रढ़
होता हे की इस देश को कोई तोड़ नहीं शकता । ‘विविधता में एकता’ भारत की एक अलग
विशेषता हे । इस देश के लोग सदीयों से भाईचारे और परस्पर प्रेम व सोहार्द की भावना
से जी रहे हे ।
पिछले कुछ समय से देश के कुछ राजकीय पक्ष अनामत के नाम पर तो
कभी अलग धर्म का दर्र्जा देने के नाम पर देश का वातावरण कलुषित करने के हिन्
प्रयत्न कर रहे हे । तब इन राजकीय पक्षों से भी मेरी दो हाथ जोड़कर बिनती हे की
मेहरबानी करके अपने राजकीय स्वार्थ के खातिर ज्ञाति-जाती-धर्म-संप्रदायों और
प्रान्तों के बिच वैमनस्यता फैलाने का हिन् कृत्य ना करे । इस देश की अखंडीतता बनी
रहे, हम सब पारस्परिक स्नेहभाव से एक दुसरे के साथ मिलजुलकर रहे और राष्ट्र प्रथम
की भावना से देशहित के कार्य करते रहे । आशा करते हे की अब नया केरल, एक एसा केरल
बने जहां कोई कोमी वैमनस्य ना हो,जहां निर्दोशो की हत्या ना हो,जहां गौमाता का
सन्मान हो और जहां देशहित प्रथम हो एसा नया केरल बने इसी प्रार्थना के साथ,
भारत
माता की जय – वंदेमातरम्
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